
कला प्रशंसा
यह नाजुक ड्राइंग 18वीं सदी के एक सज्जन को दर्शाती है, जिसका भंगिमा उस युग की अभिजातीय शैली को बखूबी पकड़ती है। उसकी मुद्रा आरामदायक और प्रभावशाली है; एक हाथ आगे की ओर बढ़ा हुआ है मानो वह बातचीत कर रहा हो या कोई बात प्रस्तुत कर रहा हो, जबकि दूसरा हाथ कमर के पास छड़ी पकड़ रहा है। कलाकार की कुशलता को उसके कोट के तहों, पतलून की सूक्ष्म बनावट और त्रिकोण टोपी के नरम परंतु सटीक रेखांकन में देखा जा सकता है। हल्का ग्रे पृष्ठभूमि इस चित्र को सजग बनाता है, जिसमें कोमल छायांकन चित्र में जान भर देता है।
सबसे अधिक प्रभावित करता है उसकी अभिव्यक्ति में छिपा शांत गरिमा— सिर का हल्का झुकाव और सौम्य दृष्टि उसे एक विचारशील व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करती है, संभवतः उस युग का कोई कलाकार या साहित्यकार। कोने में लिखा नाम और तिथि इसे एक ऐतिहासिक संदर्भ प्रदान करते हैं। यह कृति व्यक्ति और समय दोनों की एक अंतर्मुखी झलक दर्शाती है।