
कला प्रशंसा
यह सूक्ष्म जल रंग चित्र एक शांत बाघ को धुंधले, मंद पर्वतीय पृष्ठभूमि के सामने आराम करता हुआ दिखाता है। बाघ की मुद्रा धरती पर धीरे से मुड़ी हुई है, जो कि उसकी सामान्य जंगली छवि के विपरीत एक शांत ताकत को दर्शाती है। कलाकार की ब्रश स्ट्रोक तरल लेकिन स्पष्ट हैं, जहां पीला और जलता हुआ लाल रंग पर्यावरण के मिट्टीले हरे और नीले रंगों के साथ नरम ढंग से मिश्रित है। मंद रंग संयोजन एक शांत सुबह या शाम का वातावरण बनाता है, जिसे देखकर मन contemplative हो जाता है।
रचना में जानवर के विवरण और विशाल, वातावरणमय भूदृश्य के बीच संतुलन है जो दर्शक को प्रकृति के शांत पल में ले जाता है। बाघ की फर की नर्मी और दूर की पहाड़ियों की नुकीली आकृतियों का विरोध संरचना और बनावट के बीच एक सामंजस्य उत्पन्न करता है। 1930 में बनी यह कृति रोमांटिक प्राकृतिकतावाद और प्रभाववादी संवेदनशीलता का संयोजन है, जो उस समय वन्य जीवन के प्रति एक अंतरंग कनेक्शन को दर्शाती है, जब ऐसी चित्रण वैज्ञानिक और काव्यात्मक दोनों माने जाते थे। यह काम शांति, श्रद्धा और जंगली जीवन की नाजुक सुंदरता की भावनाओं को जगाता है।